रेबीज़, जिसे हिंदी में 'पागल कुत्ता रोग' भी कहा जाता है, एक वायरल संक्रमण है जो आमतौर पर संक्रमित जानवरों के काटने या खरोंच से मनुष्यों में फैलता है। यह रोग केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है और समय रहते इलाज न मिलने पर घातक हो सकता है।
- वायरस:
रेबीज़ रैब्डेविरिडाए कुल का एक
राइबो-नैगेटिव एन्फ्लुएंजा वाइरस है।
- प्रभावी निशानी:
यह एक बार मस्तिष्क और रीढ़ की
हड्डी तक पहुँचने के बाद, लगभग 100% मृत्यु दर दर्शाता है।
2. संक्रमण के मुख्य कारण
- काटना और खरोंच
- बैट्स (chauhans),
कुत्ते, लोमड़ी, जंगली
बिल्ली, और बनभूखे जानवर रेबीज़ के मुख्य वाहक हैं।
- संक्रमित जानवर के काटने या खरोंच से वायरस सीधे इंसानी
रक्त-प्रवाह में प्रवेश करता है।
- लार के माध्यम से संक्रमण
- खरोंच या रगड़ से त्वचा टूट जाती है, और
संक्रमित लार सीधे संपर्क में आने पर वायरस फैल सकता है।
- अत्यधिक दुर्लभ प्रसारण मार्ग
- संक्रमित व्यक्ति के केंद्रीय तंत्रिका ऊतकों के सीधे
संपर्क जैसे अंग-प्रत्यारोपण से भी संक्रमण हो सकता है, हालांकि
यह बेहद कम होता है।
3. लक्षण और संकेत — कौन-कौन
से?
प्रारंभिक
चरण (पहले 1–3 सप्ताह)
- काटे या खरोंच गए स्थान के चारों ओर दर्द या जलन।
- हल्का बुखार,
थकान, सिरदर्द, अपच, या
भूख की कमी।
- कभी-कभी अनुमानित लक्षणों का पता नहीं चलता — संक्रमण
गुप्त रूप से आगे बढ़ता है।
न्यूरोलॉजिकल
चरण (3–7 सप्ताह)
- उत्तेजनात्मक रूप (“हाइपररेज़ियेंट”): घबराहट, चिंता, होश
खोना, प्रकाश और पानी से डर,
और आवाज़ों पर संवेदनशीलता।
- पैरालेजिक रूप: मांसपेशियों
की कमजोरी, बोलने और निगलने में दुर्दशा, और
शरीर का ठंडा पड़ना। “मुंह में झिंगुर-झिंगुर”
की ध्वनि (हाइड्रोफोबिया के कारण)
भी हो सकती है।
समाप्ति
चरण
- जब तक समय रहते इलाज न मिले, मस्तिष्क
और श्वसन प्रणाली फेल हो जाती है।
- कोमा और मृत्यु (स्वसन की खराबी के कारण) तक पहुंचने में
समय नहीं लगता।
4. जोखिम कारक
- पिछले टीकाकरण का अभाव:
यदि किसी व्यक्ति ने रेबीज़ का
टीका नहीं लिया है, तो जोखिम स्वाभाविक रूप से बढ़ जाता है।
- जानवरों के संपर्क में आनेवाले पेशे: पशु
चिकित्सक, पशु ड्रेसर,
जंगल में काम करने वाले, या
पशु नियंत्रण कार्य में लगे व्यक्ति अधिक जोखिम में रहते हैं।
- जंगली क्षेत्रों की यात्रा: वन
क्षेत्रों और जंगली जानवरों के निवास स्थान सक्रिय संपर्क के कारण जोखिम
बढ़ता है।
- काटने की गंभीरता:
गहरे या रक्तस्रावी घाव से
हस्तक्षेपों की आवक बढ़ती है।
5. बचाव (PrEk rukawt)
वैक्सीन—सबसे मजबूत सुरक्षा की पहली दीवार
- पूर्व-प्रवेश (Pre-exposure
prophylaxis)
- उन व्यक्तियों के लिए जो उच्च जोखिम वाले क्षेत्र में
रहते या काम करते हैं।
- 3–5 खुराक, 28 दिन
में दी जाती है। मासिक या तीनवर्षीय रूप से टीकाकरण की योजना बनाई जा सकती
है।
- पोस्ट-एक्सपोजर प्रबंधन
- काटने/खरोंच की स्थिति पर त्वरित प्राथमिक उपचार (घाव
धोना + डिटर्जेंट + अल्कोहल/आइओडिन से सफाई)।
- यदि व्यक्ति असुरक्षित क्षेत्र में था और उसे वैक्सीन
नहीं लगी थी, तो
रैबीज़ इम्यून ग्लोबुलिन (RIG)
की आवश्यकता होती है।
- RIG के
बाद तुरंत 4–5 दिन में 4-5
टीके (यानी PEP) की
खुराक दी जाती है।
स्थल स्वच्छता
- जल और डिटर्जेंट से तुरंत साफ करें: काटा/खरोंचा
स्थल अवश्य साफ़ करें।
- घाव को बंद न करें:
साबुन व पानी से रोज साफ करें ताकि
संक्रमण की संभावना कम हो।
6. नैदानिक परीक्षा और पुष्टि
- लैब परीक्षण:
- काटे हुए स्थान से नमूना लेकर वायरस की पुष्टि की जाती
है।
- रक्त परीक्षण और CSF
(सिरो-रेरीपिटल फ्लुइड) से विशिष्ट
एंटीबॉडी व रहने वाले वायरस रोग का पता चलता है।
- दुर्लभ या अप्रभावी मामलों में तीव्र निदान मुश्किल हो
सकता है।
- बायोप्सी और इमेजिंग:
- गर्तना में देर होने पर एंजियोग्राफी, CT स्कैन
आदि से न्यूरॉनल डैमेज स्थिर होता है।
7. मृत्यु दर और समय
- रेबीज़ एक बार न्यूरोलॉजिकल दहलीज पार कर जाए तो मृत्यु
की संभावना लगभग 100% होती है।
- रोग का समय अलग-अलग होता है: काटे
की दूरी, टीकाकरण की स्थिति,
और झटके
की गंभीरता प्रभावित करते हैं।
- न्यूनतम लक्षण के बाद 1–2 सप्ताह
में मृत्यु हो सकती है, लेकिन
कभी-कभार का समय 1 वर्ष (बहुत दुर्लभ) तक हो सकता है।
8. आपातकालीन स्थिति — तत्काल
क्या करें?
यदि किसी जानवर द्वारा काटा या खरोंचा
गया हो:
- त्वरित प्राथमिक उपचार
- पानी और साबुन से 15
मिनट तक अच्छी तरह धोएं।
- आइसोप्रोपाइल अल्कोहल या पॉटेशियम पर्मैंगनेट से स्वच्छ
करें।
- अस्पताल जाएं तुरंत
- टीकाकरण के इतिहास पर डॉ काउंसलिंग।
- पोस्ट-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस (PEP) की
शुरुआत।
- RIG की
स्थिति को आकलित करके आवश्यक खुराक दी जाएगी।
- अलग कदम
- काटने वाले जानवर को निगरानी में रखें।
- यदि नियमानुसार संभव हो, तो
जानवर को 10 दिन तक डॉक्टर को रिपोर्ट करें—या
स्थानीय आंगनवाड़ी/पशु कल्याण समिति से संपर्क करें।
9. मिथक और तथ्य
मिथक |
तथ्य |
सिर्फ पागल कुत्ता ही फैलाता है |
🗸 नहीं। बैट्स,
लोमड़ियां, जंगली बिल्ली आदि
भी पहुंचा सकते हैं। |
काटने से सिर्फ कुत्तों में टीकाकरण
जरूरी है |
🗸 सभी उच्च जोखिम जानवरों (जैसे जायंट बैट्स) के संपर्क में
आने पर सावधानी आवश्यक है। |
रेबीज़ एक सामान्य बुखार-जैश रोग है |
🗸 बिल्कुल नहीं। यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को तेज़ी से
प्रभावित करता है और बिना इलाज मृत्यु आम है। |